रायपुर : छत्तीसगढ़ का पारम्परिक त्योहार ‘पोरा’ 14 सितंबर को प्रदेशभर बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। इसके लिए सीएम हाउस से लेकर पूरे प्रदेशभर में तैयारीयां जोर-शोर से चल रही हैं, इसके लिए बाजार में पूजा के लिए मिट्टी से बने नंदी, बैल समेत जांता चक्की व चूल्हा का सेट भी बिक रहा है.
ग्रामीण क्षेत्रों में ‘पोरा’ त्योहार किसानों द्वारा मनाया जाता है. इस दिन कृषक गाय, बैलों की पूजा करते हैं. इस दिन शहर की गलियों और मोहल्लों में दौड़ लगाने के लिए नंदी बइला (मिट्टी के बैल) तैयार हो गए हैं. बाजारों में बिक्री के लिए भी पहुंचे हुए हैं. इन बैलों की कीमत 40 से 80 रुपये प्रति जोड़ी मिल रही है. वहीं जांता-पोरा और मिट्टी के दूसरे खिलौने भी 120-160 रूपए तक उपलब्ध हैं.
पोरा त्योहार का महत्व
सदियों से चली आ रही परम्परा के अनुसार ‘पोरा’ त्योहार भादो माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बैलों का श्रृंगार कर उनकी पूजा की जाती है. बच्चे मिट्टी के बैल चलाते हैं. इस दिन बैल दौड़ का भी आयोजन किया जाता है. और इस दिन में बैलों से कोई काम भी नहीं कराया जाता है. घरों में अच्छे-अच्छे व्यंजन बनाए जाते हैं. बैल, धरती और अन्न को सम्मान देने के लिए यह पर्व मनाया जाता है.
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