जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने अपने जगदलपुर दौरे के दौरान कहा कि, मैं अनुशासित व्यक्ति हूं। पार्टी से खफा नहीं हूं। जो भी काम करता हूं अनुशासन के साथ करता हूं। संगठन मुझे मंत्री से लेकर संतरी तक जो काम देगा वो मैं करूंगा। CM के साथ मेरी कोई नाराजगी नहीं है। वो हमारी टीम के कप्तान हैं। मुझे जैसा कहेंगे मैं वैसा करूंगा। यदि विपक्ष या फिर लोग ऐसा सोच रहे होंगे कांग्रेस पार्टी बिखर चुकी है तो ये गलत है। हम आज भी एकजुट हैं।
दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने जगदलपुर में मीडिया से बातचीत की है। उन्होंने इस साल होने वाले चुनाव को लेकर कहा कि, चुनाव काफी संघर्षशील है। चुनाव में जीत के लिए किसी भी दल को ओवरकॉन्फिडेंस नहीं होना चाहिए। वास्तविक प्लानिंग के लिए जमीन पर पांव रखकर के काम करना चाहिए। यह मामना चाहिए कि, हर सीट पर संघर्ष है। उन्होंने कहा कि, पूरी 90 विधानसभा सीट में हमारा संघर्ष है।
कप्तान जैसा बोलेंगे वैसा करूंगा
हमने कई अच्छे काम किए हैं इसे लोगों को बताना है। कहीं काम न भी हुए हों तो उसपर भी काम करने की कोशिश करना। लोगों के साथ बैठकर डिस्कस करने से ही काम करने में अच्छी सफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि ढाई-ढाई साल की जो बातें चली थी उसका मुझपर भी बहुत दबाव था। साथी कार्यकर्ता मुझसे बार-बार पूछते थे बाबा क्या हो रहा है? अब टीम के कप्तान भूपेश भाई हैं। यदि वो मुझसे कहेंगे कि बैटिंग करो तो मैं बैटिंग करूंगा। बॉलिंग ऑयर फील्डिंग के लिए बोलेंगे तो वो भी करूंगा।
शराबबंदी पर भी रखी बात
इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री ने शराबबंदी के विषय में भी मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि, चुनाव के समय जो घोषणापत्र बनाया गया था उस समय मैं भी इस काम के लिए नजदीक से जुड़ा हुआ था। लोगों ने मुझसे कहा था यदि शराब बंदी करोगे तो हम वोट नहीं देंगे। इसकी वजह थी कि वे लोग शराब का सेवन करते थे। दूसरी तरफ महिलाएं शराब बंद करवाने के पक्ष में थीं। ये दो राय निकलकर सामने आई। ट्राइबल एरिया के लोग भी शराब का सेवन करते हैं।
घरेलू हिंसा, सामाजिक तानेबाने, आर्थिक तंगी की वजह से महिलाएं चाहती थीं कि शराब बंदी हो जाए। लेकिन ये लागू नहीं हो पाया। ट्राइबल एरिया में 5 लीटर तक शराब रखने का कानून बना है। सेवन करना उनके कल्चर में है। यदि आप पूर्ण शराबबंदी कर देंगे तो ट्राइबल समाज इसका समर्थन नहीं करेगा। कुल 146 ब्लॉक हैं उनमें आधे से ज्यादा यानी 85 ग्रामीण क्षेत्र है। उनमें शराब का सेवन उनकी परंपरा से जुड़ा हुआ है। इसलिए ऊपर से शराबबंदी करना मतलब सांस नहीं लेने देने के बराबर होगा।
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