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छत्तीसगढ़ का पारंपरिक भोजन बोरे-बासी दिवस आज, गर्मियों के दिनों में कारगर है बोरे-बासी, जानिए फायदे

बोरे बासी दिवस, 1 मई 2024 : छत्तीसगढ़ का पारंपरिक भोजन बोरे-बासी है। यह विटामिन से भरपूर होने के साथ सेहतमंद भी है। एक मई को पूरी दुनिया में मजदूर दिवस (Labor Day) मनाया जाता है, और इसी दिन यानी आज छत्तीसगढ़ में बोरे बासी दिवस भी मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ का व्यंजन बोरे बासी एक छत्तीसगढ़िया ब्रांड के रूप में डेवलप हो रहा है। साल 2022 से एक मई को बोरे बासी दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। उसके बाद से छत्तीसगढ़ में नेता, अभिनेता, आम लोग से खास लोग सभी इस दिन बोरे बासी खाने लगे.बोरे बासी में भरपूर विटामिन बी 12, कैल्शियम, पोटेशियम सहित अनेक पौष्टिक गुण के साथ हृदय रोग, स्किन रोग, डायरिया सहित अनेक रोगों से लड़ने की क्षमता है. साथ इसे खाने के और भी बहुत फायदे हैं. आज हम आपको इन्हीं फायदों के बारे में बताएंगे.

दरअसल, कुछ लोग बोरे और बासी को एक ही समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. बोरे और बासी में बहुत अंतर है. रात को खाना खाने के बाद बचे हुए चावल को पानी में डूबाकर रख दिया जाता है और उसे सुबह में खाया जाता है, उसे बासी कहते हैं. जबकि रात में चावल बनाकर उसे ठंडा करने के बाद पानी में डालकर खाते हैं तो उसे बोरे कहते हैं.

बोरे बासी खाने के फायदे

  • बोरे-बासी में पानी की भरपूर मात्रा होती है. गर्मी के दिनों में इसके सेवन से शरीर ठंडा रहता है. साथ ही इसे खाने से लू भी नहीं लगती है.
  • बासी का सेवन किया जाए तो पथरी की समस्या होने से भी बचा जा सकता है. चेहरे में ताजगी, शरीर में स्फूर्ति रहती है.
  • ये उच्च रक्तचाप नियंत्रित करता है, पाचन क्रिया में मदद मिलती है. गैस या कब्ज की समस्या वाले लोगों के लिए यह फायदेमंद है.
  • बासी खाने से मोटापे की समस्या दूर होती है. साथ ही इसके सेवन से अनिद्रा की बीमारी नहीं होती है.
  • बोरे बासी में कार्बाेहाइड्रेट, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिंस, मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण जैसे पोषक तत्व पाए जाते है.
  • ताजे बने चावल (भात) की अपेक्षा इसमें करीब 60 फीसदी कैलोरी ज्यादा होती है.
  • बासी के साथ माड़ और पानी से मांसपेशियों को पोषण भी मिलता है.

ऐसे बनाते हैं बोरे बासी
बोरे बासी बनाने की विधि बहुत सरल है. बोरे बासी बनाने के लिए पका हुआ चावल और पानी की जरूरत होती है.चावल को रात में पकाकर ठंडा होने के बाद कांसे अथवा मिट्टी के बर्तन में पानी में डुबाकर रखा जाता है. सुबह नमक, हरी मिर्च, टमाटर की चटनी, प्याज के साथ इसका सेवन किया जाता है. कई लोग भात के पसिया (माड़) को भी भात और पानी के साथ मिलाते खाते हैं. इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिंन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं.

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