रायपुर : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के अभिषेक चतुर्वेदी ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) एग्जाम में 278 रैंक के साथ IPS कैडर के साथ सफलता हासिल की है। उनका मानना है कि इंजीनियरिंग करने वाले ज्यादातर युवाओं को सर्विस तो मिल जाती है। लेकिन, जॉब ओरिएंटेड फील्ड नहीं मिल पाता, जिसके चलते प्रशासनिक सेवा की तरफ स्टूडेंट जाते हैं। अभिषेक को लगातार तीन बार असफलता हाथ लगने के बाद भी कभी निराशा नहीं हुई। बल्कि, नई चुनौती के साथ नए सिरे से डटकर तैयारी करते रहे। यही वजह है कि चौथे प्रयास में उन्हें सीधे कामयाबी के शिखर तक पहुंचा दिया।
बचपन से ही पढ़ाई में होनहार अभिषेक चतुर्वेदी ने प्राइमरी एजुकेशन सेंट जेवियर स्कूल से ली। फिर बाद में हाईस्कूल और हायरसेकेंडरी की पढ़ाई डीपीएस स्कूल से किया, जिसके बाद उन्होंने एसआरएम यूनिवर्सिटी चेन्नई में इंजीनियरिंग में प्रवेश ले लिया। उन्होंने इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच से 2018 में इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। इंजीनियरिंग में उन्हें एग्रीगेट 72% अंक मिला।
अभिषेक ने कहा कि उनके पिता विनय कुमार चतुर्वेदी रेलवे में चीफ कंट्रोलर हैं। ऐसे में उन्हें बचपन से अपने पिता के साथ रेलवे के अफसरों से मिलने का मौका मिलता रहा। इस बीच इंजीनियरिंग करने के साथ ही पांच लाख रुपए के पैकेज में जॉब का ऑफर मिल गया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया और दिल्ली में रहकर UPSC एग्जाम के लिए कोचिंग करते हुए तैयारी शुरू कर दी।
अभिषेक ने बताया कि साल 2018 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद एक साल तक दिल्ली में रहकर अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास किया। इस दौरान शुरुआत के तीन एग्जाम में लगातार अफसलता हाथ लगी। यहां तक प्रारंभिक परीक्षा में भी कामयाबी नहीं मिल पाई। साल 2020 में कोरोना कॉल में वे बिलासपुर आ गए और यहां रहकर एग्जाम की तैयारी करते रहे। घर पर उन्हें परिवार का पूरा सपोर्ट मिला और कभी मुझे निराश नहीं होने दिया। हर बार प्रिलिम्स से बाहर होने के बाद चुनौती का सामना किया। आखिरकार, चौथी बार में न सिर्फ प्रिलिम्स एग्जाम बल्कि मेंस और इंटरव्यू के बाद सीधे सिलेक्शन हो गया।
मैं भी शुरू में यह सोचता था कि UPSC के लिए दिल्ली जाना जरूरी है। लेकिन, ऐसा नहीं है। छत्तीसगढ़ के युवाओं में टैलेंट है और मेहनती भी है। प्रदेश एजुकेशन हब बन गया है। UPSC के लिए दिल्ली जाने की जरूरत नहीं है। काफी सुविधाएं घर पर रहकर ही मिल जाती है। सही मार्गदर्शन और माहौल मिले तो घर पर रहकर ही बेहतर तैयारी की जा सकती है। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग भी जरूरी नहीं है। लेकिन, इससे गाइडेंस मिल जाती है। बाकी मेहनत और तैयारी खुद को करना पड़ता है।
अभिषेक चतुर्वेदी ने बताया कि उनका इंटरव्यू आरएन चौबे की बोर्ड में हुआ। 35 मिनट के इंटरव्यू में उन्हें सवाल किया कि अगर छत्तीसगढ़ जैसे नक्सल प्रभावित एरिया में कलेक्टर बना दिया जाए, तो समस्या का निदान कैसे करेंगे। इस पर अभिषेक ने जवाब दिया कि छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर नक्सल प्रभावित है, जहां की भौगोलिग स्थिति को समझने की जरूरत है। वहां शिक्षा का अभाव है और लोग समस्याग्रस्त रहते हैं। जंगल में उनकी सुरक्षा और सुविधाओं का कोई इंतजाम नहीं है। पहुंच से दूर होने के कारण प्रशासन और जनता के बीच समन्वय नहीं है। ऐसे में उनका भरोसा जितना जरूरी है। साथ ही क्षेत्र का विकास भी आवश्यक है। वहीं, आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर इस समस्या को हल किया जा सकता है।
अभिषेक बताते हैं कि मेहनत के साथ-साथ किस्मत ने भी साथ दिया और मेरा चयन हो गया। दिन में 5 से 6 घंटे की पढ़ाई करते थे। एग्जाम के टाइम में 10 से 11 घंटे की तैयारी करते थे। अभिषेक ने बताया कि वे रोज दो घंटे टेनिस खेलते हैं। उन्होंने कहा कि मेरी पारिवारिक आर्थिक स्थिति ठीक थी, इसलिए जॉब का ऑफर ठुकरा दिया और तैयारी करते रहे। मुझसे ज्यादा मेहनत करने वाले स्टूडेंट्स हैं, जो नौकरी करते हुए एग्जाम देते हैं। अभिषेक का कहना है कि कॉलेज पहुंचने से पहले ही अपना लक्ष्य तय कर लें और लगातार मेहनत की जाए, तो असफलता हाथ नहीं लगती।
अभिषेक की मां संगीता चतुर्वेदी गृहणी हैं और उनका संयुक्त परिवार है। घर के इकलौते बेटे हैं। उनकी छोटी बहन निधि चतुर्वेदी दिल्ली के यूनिवर्सिटी में लॉ कॉलेज में ग्रेजुएशन कर रही हैं। अभिषेक की कामयाबी की खबर सुनकर घर के साथ ही परिवार में खुशी का माहौल है।
UPSC की एग्जाम में बिलासपुर के नेहरु नगर निवासी अनामिका कश्यप ने भी बाजी मारी है। एग्जाम में उन्हें 552 रैंक मिला है। अनामिका के पिता देवेंद्र कश्यप कार्यपालन अभियंता हैं। अनामिका कश्यप का चयन साल 2017 में CG-PSC में हुआ था, तब उन्हें नायब तहसीलदार का पद मिला था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया और UPSC की तैयारी में जुट गईं। इससे पहले वह भिलाई के शंकरा विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (बी.टेक) में टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। उन्हें आईएफएस या आईआरएस कैडर मिलने की उम्मीद है।
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